ठगो ने अपनाया नया रास्ता और ख़रीदे फ़र्ज़ी आईडी से लाखो में महंगे फ़ोन

ठगो ने अपनाया नया रास्ता और ख़रीदे फ़र्ज़ी आईडी से लाखो में महंगे फ़ोन
ठगो ने अपनाया नया रास्ता और ख़रीदे फ़र्ज़ी आईडी से लाखो में महंगे फ़ोन

ठगो ने अपनाया नया रास्ता और ख़रीदे फ़र्ज़ी आईडी से लाखो में महंगे फ़ोन

ठगो ने अपनाया नया रास्ता और ख़रीदे फ़र्ज़ी आईडी से लाखो में महंगे फ़ोन – सहारनपुर, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला, हाल ही में एक विशेष प्रकार की धोखाधड़ी के बारे में सुर्खियों में आया है। फर्जी आईडी का इस्तेमाल करके मोबाइल फोन फाइनेंस के माध्यम से लाखों रुपये की ठगी की गई, जिसका पता चलते ही पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। इस विशेष घटना के पीछे के गुप्त रहस्यों की खोज करने के बावजूद, यह मामला एक सख्त सख्त आपराधिक गैंग के हाथों में था, जिन्होंने देहरादून से साथी गैंगों की मदद से इस काम को किया था।

ठगो ने अपनाया नया रास्ता और ख़रीदे फ़र्ज़ी आईडी से लाखो में महंगे फ़ोन
ठगो ने अपनाया नया रास्ता और ख़रीदे फ़र्ज़ी आईडी से लाखो में महंगे फ़ोन

कैसे हुई महंगे मोबाइल फ़ोन की ठगी?

सहारनपुर में फर्जी आईडी का इस्तेमाल करके मोबाइल फोन फाइनेंस के माध्यम से लाखों रुपये की ठगी की गई है। इसके बाद, एक मुकदमा दर्ज किया गया है। यह ठगी एक बड़े गैंग के द्वारा की गई है, जो देहरादून से साथी गैंगों की मदद से यह काम कर रहा था। वे लोग फर्जी आईडी बनाने के बाद मोबाइल फोन लेते थे और फिर उन्हें फाइनेंस करवाने वाले दुकानों पर लाए जाते थे।

मोबाइल फोन फाइनेंस करने का तरीका आमतौर पर आधार कार्ड और पैनकार्ड के साथ काम करता है। इस गैंग ने इस तरीके का इस्तेमाल किया और 19 लोगों के नाम पर फर्जी आईडी बनाए। इसके बाद, वे आईडी के नाम पर मोबाइल फोन फाइनेंस करवाने लगे, जिसमें मोबाइल फोन की किश्त जमा करनी होती है। इस प्रक्रिया में, यह गैंग अपनी ठगी को सफलता तक पहुंचा लिया।

पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की और कुछ समय बाद पता चला कि सभी फर्जी आईडी थे। इसके बाद, वे लोग मोबाइल फोन की किश्त जमा नहीं करने लगे और इस प्रक्रिया के बाद मुद्दे की जांच करने लगे।

यह गैंग सहारनपुर जिले में कई इलाकों में कार्रवाई कर चुका है, जैसे कि सहारनपुर महानगर, कोर्ट रोड, अंबाला रोड, शारदानगर, छुटमलपुर, बिहारीगढ़, गागलहेड़ी, और अन्य कई स्थानों पर मोबाइल फोन खरीदे गए।

इस मामले में, फर्जी आईडी के नाम पर 18 लोगों के साथ अज्ञात तरीके से फाइनेंस करवाया गया है, और इनमें गुरमीत सिंह, करण नकुड़, नितिन थापा, अमित गोयल, शशांक कुमार गुप्ता, सचिन माली, अरविंद वर्मा, सूरज सिंह रावत, नकुल प्रियदर्शी, अंकित, मोहित शर्मा, अजय कुंवर, शिव कुमार, विकास पठेडी, रामपुर मनिहारन, छगनलाल यादव, सुनित कुमार, शाहिद हुसैन, और विनोद कुमार शामिल हैं।

इस गैंग का काम खुद सहारनपुर जिले में ही सीमित नहीं रहता, बल्कि यह गैंग बड़े जिले जैसे कि देहरादून से जुड़ा हुआ है। वहां के लोगों की आईडी में भी फर्जीवाड़ा किया जाता है, और उनके नाम पर मोबाइल फोन लिए जाते हैं।

पुलिस अब इस पूरे मामले की जांच कर रही है और जल्द ही इसके पीछे के सभी गुप्त रहस्यों की खोज करेगी। फिर उन्हें इस ठगी के पीछे के सभी दोषी शामिल करने का काम करना होगा।

Conclusion

इस घटना के प्रकट होने से हमें धोखाधड़ी और आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ सतर्क रहने की आवश्यकता है। मोबाइल फोन फाइनेंस जैसे कामों में सतर्कता बरतना जरूरी है ताकि हम खुद को और अपने वित्तीय संपत्ति को सुरक्षित रख सकें। सही और सत्यपर दस्तावेजों की जाँच और वैध आईडी का प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की मदद करने में भी हमारी जिम्मेदारी होती है ताकि इस तरह के आपराधिक गैंगों को पकड़ा जा सके और न्याय मिल सके।

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